मचल के जब भी आँखों से हिंदी लिरिक्स – Machal Ke Jab Bhi Aankhon Se Hindi Lyrics (Bhupinder Singh, Griha Pravesh)

मूवी या एलबम का नाम : गृह प्रवेश (1979) संगीतकार का नाम – कानू रॉय हिन्दी लिरिक के लिरिसिस्ट – गुलज़ार गाने के गायक का नाम – भूपेंद्र सिंह मचल के जब भी आँखों से छलक जाते हैं दो आँसू सुना है आबशारों को बड़ी तक़लीफ़ होती है मचल के जब भी आँखों से… ख़ुदा-रा अब तो बुझ जाने दो इस जलती हुई लौ को चराग़ों से मज़ारों को बड़ी तक़लीफ़ होती है मचल के जब भी आँखों से… कहूँ क्या वो बड़ी मासूमियत से पूछ बैठे हैं क्या सचमुच दिल के मारों को बड़ी तक़लीफ़ होती है मचल के जब भी आँखों से… तुम्हारा क्या, तुम्हें तो राह दे देते हैं काँटे भी मगर हम ख़ाक-सारों को बड़ी तक़लीफ़ होती है मचल के जब भी आँखों से…

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