मूवी या एलबम का नाम : लाल क़िला (1960)
संगीतकार का नाम – एस.एन.त्रिपाठी
हिन्दी लिरिक के लिरिसिस्ट – बहादुरशाह ज़फर
गाने के गायक का नाम – मो.रफ़ी
लगता नहीं है दिल मेरा उजड़े दयार में
किस की बनी है आलम-ए-ना-पायेदार में
कह दो इन हसरतों से कहीं और जा बसें
इतनी जगह कहाँ है दिल-ए-दाग़दार में
उम्र-ए-दराज़ माँग के लाए थे चार दिन
दो आरज़ू में कट गये, दो इंतज़ार में
इतना है बदनसीब ‘ज़फ़र’ दफ़्न के लिये
दो गज़ ज़मीन भी न मिली कू-ए-यार में
लगता नहीं है दिल मेरा उजड़े दयार में