मूवी या एलबम का नाम : मिर्ज़ा ग़ालिब (टी वी सीरियल) (1988)
संगीतकार का नाम – जगजीत सिंह
हिन्दी लिरिक के लिरिसिस्ट – मिर्ज़ा ग़ालिब
गाने के गायक का नाम – चित्रा सिंह, जगजीत सिंह
चित्रा सिंह
बस के दुश्वार है हर काम का आसाँ होना
आदमी को भी मयस्सर नहीं इंसाँ होना
कि मेरे क़त्ल के बाद उस ने जफ़ा से तौबा
हाय उस ज़ूद-पशेमाँ का पशेमाँ होना
हैफ़ उस चार गिरह कपड़े की क़िस्मत ‘ग़ालिब’
जिसकी क़िस्मत में हो आशिक़ का गरेबाँ होना
बस के दुश्वार है…
जगजीत सिंह
बस-कि दुश्वार है हर काम का आसाँ होना,
आदमी को भी मयस्सर नहीं इंसाँ होना
घर हमारा जो न रोते भी तो वीराँ होता
ब-हर गर बहर न होता तो बयाबाँ होता
इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना
दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना
दर्द मिन्नतकश-ए-दवा न हुआ
मैं न अच्छा हुआ, बुरा न हुआ
इब्न-ए-मरियम हुआ करे कोई
मेरे दुःख की दवा करे कोई
बक रहा हूँ जुनूँ में क्या क्या कुछ
कुछ न समझे ख़ुदा करे कोई