मूवी या एलबम का नाम : रात और दिन (1967)
संगीतकार का नाम – शंकर-जयकिशन
हिन्दी लिरिक के लिरिसिस्ट – शैलेन्द्र
गाने के गायक का नाम – लता मंगेशकर, मन्ना डे
दिल की गिरह खोल दो
चुप ना बैठो, कोई गीत गाओ
महफ़िल में अब कौन है अजनबी
तुम मेरे पास आओ
दिल की गिरह खोल दो…
मिलने दो अब दिल से दिल को
मिटने दो मजबूरियों को
शीशे में अपने डुबो दो
सब फ़ासलो दूरियों को
आँखों में मैं मुस्कुराऊँ तुम्हारी
जो तुम मुस्कुराओ
महफ़िल मे अब कौन…
हम तुम ना हम तुम रहें अब
कुछ और ही हो गये अब
सपनों के झिलमिल नगर में
जाने कहाँ खो गये अब
हमराह पूछे किसी से
न तुम अपनी मंज़िल बताओ
महफ़िल मे अब कौन…
कल हमसे पूछे ना कोई
क्या हो गया था तुम्हें कल
मुड़कर नहीं देखते हम
दिल ने कहा है चला चल
जो दूर पीछे कहीं रह गये
अब उन्हें मत बुलाओ
महफ़िल मे अब कौन…