मूवी या एलबम का नाम : इंकलाब (1984)
संगीतकार का नाम – लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल
हिन्दी लिरिक के लिरिसिस्ट – आनंद बक्षी
गाने के गायक का नाम – किशोर कुमार
ऐ लो मैं बन गया थानेदार भईया
अब डर काहे का
रिश्वत ख़ोरी अब न चलेगी
चोरों की चोरी अब न चलेगी
अरे जोरा जोरी अब न चलेगी
अब अपनी है सरकार भईया
अब डर काहे…
अब न किसी से तुम घबराओ
थाने में आओ रपट लिखाओ
किसी की इज़्ज़त अब न लुटेगी
किसी की मेहनत अब न लुटेगी
किसी की दौलत अब न लुटेगी
मैं सबका पहरेदार भईया
अब डर काहे…
तुम मेरे हो मैं तुम सबका
ये रिश्ता है जाने कब का
इन गलियन के हम साथी हैं
इस जीवन के हम साथी हैं
साथी हैं, हम साथी हैं, हम साथी हैं
ना टूटे कभी ये प्यार भईया
अब डर काहे…
बंद यूँ अपनी मुट्ठी कर दी
मैंने सबकी छुट्टी कर दी
दारू का अड्डा अब ना चलेगा
सट्टे पे सत्ता अब ना चलेगा
अरे शहर में सट्टा अब न चलेगा
लम्बू की लम्बी मार ओ भईया
अब डर काहे का…