मूवी या एलबम का नाम : शंकर हुसैन (1977) संगीतकार का नाम – खय्याम हिन्दी लिरिक के लिरिसिस्ट – कमाल अमरोही गाने के गायक का नाम – मो.रफ़ी कहीं एक मासूम नाज़ुक सी लड़की बहुत खूबसूरत मगर साँवली सी मुझे अपने ख़्वाबों की बाहों में पाकर कभी नींद में मुस्कुराती तो होगी उसी नींद में कसमसा-कसमसाकर सरहने से तकिये गिराती तो होगी कहीं एक मासूम नाज़ुक… वही ख़्वाब दिन के मुंडेरों पे आ के उसे मन ही मन में लुभाते तो होंगे कई साज़ सीने की खामोशियों में मेरी याद में झनझनाते तो होंगे वो बेसाख्ता धीमे-धीमे सुरों में मेरी धुन में कुछ गुनगुनाती तो होगी कहीं एक मासूम नाज़ुक… चलो खत लिखें जी में आता तो होगा मगर उंगलियाँ कँपकँपाती तो होंगी कलम हाथ से छूट जाता तो होगा उमंगें कलम फिर उठाती तो होंगी मेरा नाम अपनी किताबों पे लिखकर वो दाँतों में उँगली दबाती तो होगी कहीं एक मासूम नाज़ुक… ज़ुबाँ से कभी उफ़ निकलती तो होगी बदन धीमे-धीमे सुलगता तो होगा कहीं के कहीं पाँव पड़ते तो होंगे ज़मीं पर दुपट्टा लटकता तो होगा कभी सुबह को शाम कहती तो होगी कभी रात को दिन बताती तो होगी कहीं एक मासूम नाज़ुक…
कहीं एक मासूम नाज़ुक हिंदी लिरिक्स – Kahin Ek Masoom Nazuk Hindi Lyrics (Md.Rafi, Shankar Hussain)
May 20, 2017