मूवी या एलबम का नाम : उस्तादों के उस्ताद (1963)
संगीतकार का नाम – रवि
हिन्दी लिरिक के लिरिसिस्ट –
असद भोपाली
गाने के गायक का नाम – मो.रफ़ी
वफ़ा के दीप जलाए हुए निगाहों में
भटक रही हो भला क्यों उदास राहों में
तुम्हें ख्याल है तुम मुझसे दूर हो लेकिन
मैं सामने हूँ, चली आओ मेरी धुन में
सौ बार जनम लेंगे, सौ बार फ़ना होंगे
ऐ जाने वफ़ा फिर भी हम तुम ना जुदा होंगे
किस्मत हमें मिलने से रोकेगी भला कब तक
इन प्यार की राहों में भटकेगी वफ़ा कब तक
कदमों के निशाँ खुद ही मंजिल का पता होंगे
सौ बार जनम लेंगे…
ये कैसी उदासी है, जो हुस्न पे छाई है
हम दूर नहीं तुमसे, कहने को जुदाई है
अरमान भरे दो दिल, फिर एक जगह होंगे
सौ बार जनम लेंगे…