मूवी या एलबम का नाम : तीन देवियाँ (1965)
संगीतकार का नाम – एस.डी.बर्मन
हिन्दी लिरिक के लिरिसिस्ट – मजरूह सुल्तानपुरी
गाने के गायक का नाम – मो.रफ़ी
ऐसे तो न देखो, के हमको नशा हो जए
ख़ूबसूरत सी कोई हमसे ख़ता हो जाए
ऐसे तो न देखो
तुम हमें रोको फिर भी हम ना रुकें
तुम कहो काफ़िर फिर भी ऐसे झुकें
क़दम-ए-नाज़ पे इक सजदा अदा हो जाये
ऐसे तो न देखो…
यूँ न हो आँखे रहें काजल घोलें
बढ़के बेखुदी हंसीं गेसू खोलें
खुल के फिर ज़ुल्फ़ें सियाह काली बला हो जाये
ऐसे तो न देखो…
हम तो मस्ती में जाने क्या-क्या कहें
लब-ए-नाज़ुक से ऐसा न हो तुम्हें
बेक़रारी का गिला हमसे सिवा हो जाये
ऐसे तो न देखो…