सत्संग में तेरे जो भी आता
खाली झोली भर ले जाता
द्वार तुम्हारे जो भी आता
जन्म मरण से मुक्ति पाता
हम सब आए तेरे द्वार
गुरु जी बेड़ा पार कर दो
तुमने पावन नाम दिया है
मन पापों से मुक्त किया है
तुम ही हो सच्चा सार गुरु जी – –
तुमने ही भक्ति की ज्योत जगाई
तेरी शरण है महासुखदाई
तुम ही सबके आधार गुरु जी – – –
सृष्टि के कण-कण में तू समाया
कैसी निराली है तेरी माया
देते हैं सबको सवांर – – –
पाप ताप से हमें बचाते
आत्म बल का बोध कराते
तुम करते हो दया अपार – – –
तुमसे मिली हमें शीतल छाया
तुमने ही हमें निज रुप बताया
तुम करते हो सबका उद्धार – – –
तुम ही हो सुख शांति दाता
तुम ही हो भव सागर त्राता
तुम ही हो तारन हार – – –
दीक्षा देकर धन्य हो करते
बिन माँगे ही झोली भरते
तेरा ही शाश्वत प्यार – – –
गुरुवर तुम करुणा के सागर
भरते हो तुम सबकी गागर
सुन लो मेरी भी पुकार – – –
ब्रम्हा विष्णु महेश तुम्ही हो
आए लेकर वेश तुम्ही हो
धरा पे लिया अवतार – – –
महिमा तुम्हारी किस विध गाऊँ
शीश झुकाकर बलि-बलि जाऊँ
तुमको नमन बारम्बार – – –
इतनी कृपा हम पर करना
हाथ दया का सिर पर रखना
बार-बार आऊँ तेरे द्वार – – –
तेरे दर पर आ बैठे हैं
प्रीत तुम्ही से कर बैठे हैं
तुम हो मेरे भगवान गुरु जी – – –
तुमने पुकारा हम चले आएं
भेंट चढ़ाने कुछ नही लाए
विनती करो स्वीकार गुरु जी बेड़ा पार – – –