मेरे मन मन्दिर के राम भजन हिन्दी मे लिरिक्स के साथ

मेरे मन मन्दिर के राम गुरु बिन कोई नही

लिया गुरु रूप अवतार हरि बिन कोई नही

मन की दौड़ को, तुमने ही थामा

तुमको कोटि-कोटि प्रणामा

कर दे जो क्षण में निहाल गुरु बिन – –

जिसको गुरु इक बार निहारे

दिख जाये भीतर उसको नजारे

मेटे जो व्यर्थ ख्याल गुरु बिन – –

ज्योति, श्रुति, सुरति में  तुम हो

काल, मति और में तुम हो

बिन साज सुनायें ताल गुरु बिन – –

सारे जहाँ का मूल तुम्ही हो

मन का खिलाते, फूल तुम्ही हो

जो है कालो के महाकाल, गुरु बिन – –

तन में रहते धड़कन  बनके

मन में रहते याद हो बनके

संग रहे जो बनके ढाल, गुरु बिन – –

क्यूं नश्वर में, ही है उलझे

गुरु के ज्ञान का, मर्म न समझे

ऐसा तो परम दयाल, गुरु बिन

माया कदम-कदम पे ठगती

छलिया है हमें प्यारी लगती

जो कोटि माया जाल, गुरु बिन – –

गुरु बिन होता न कारज कोई

जो है ईश्वर गुरु भी है वो ही

जो परम पुरुष है आकाल, गुरु बिन

भ्रमित हुए, संसार में हम जब

तुमने जगाया, आके हमें तब

जो करें है सबकी संभाल

गुरु बिन कोई नही – –

सबसे निराली, इनकी आभा

गुरु भक्ति से लाभ ही लाभा

जो है ज्ञान की अमर मशाल गुरु – –

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