लिखा कौन मिटाये गुरू बिन भजन हिन्दी मे लिरिक्स के साथ

लिखा कौन मिटाये गुरू बिन लिखा कौन मिटाये

पार कौन लगाए गुरू बिन पार कौन लगाए

ऊँची हवा में उड़ने वाला, कब नीचे आ जाए

बीती आयु तेरी बदला न नजरिया

क्यूँ तू भूला बन्दे छाएगी दुख की बदरिया

सब कुछ जग में छूटने वाला, क्यूँ तो मोह लगाया

क्यूँ है सर पे लादी कर्मों की गठरिया

क्यूँ अकड़े काया पे झुकेगी ये कमरिया

आँख खुले तो मिट जाते सब, फिर क्यूँ सपने सजाया

क्या करने आया था, क्या ये तूने कर दिया

ज्ञान का अमृत ख़ोकर, विषयों का विष क्यूँ पिया

जैसी बोई खेती तूने, वैसा कल तू पाए

मोह माया के बन्धन बांधे है हथकडि़याँ

शाश्वत को है भूला, नश्वर लगता बढि़या

कंकर को तू हीरा माने, फिर पीछे पछताए

शुरू में सीधी लगती, है ये भ्रामक गलियॉं

रूप धरे हैं कितने आया तो है छलियॉं

इस अंधियारी दुनियॉं में बस गुरू ही आके बचाए

गहरा है दुखदायी जीवन रूपी दरिया

मार्ग बहुत है लम्‍बा दुर बहुत है नगरिया

जन्‍म-जन्‍म में भी दुर्लभ है, जो गुरू वहॉं पहुँचाएं

अपने प्रेम से रंग दो दिल की ये चुनरिया

तुम ही मालिक मेरे, तुम दाता साँवरिया

तुम बिन गुरुवर अब तो हमको, कहीं भी चैन न आए

हास विलास में बीती जाए रे उमरिया

बाँध चला तू सर पे पापों की गठरिया

जल गया दीपक बुझ गया बाती, कौन राह दिखाए

जैसा करेगा वैसा भरेगा, फिर पीछे पछताए

रब से कौन मिलाए, गुरु से कौन मिलाए – –

बिगड़ी कौन बनाये गुरु बिन बिगड़ी कौन – –

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