मेरीप्रीति लगा दो गुरुवर
मेरीप्रीति लगा दो गुरुवर
मेरीभक्ति बढ़ा दो गुरुवर
आपकेचरणों में आपके वचनों में
मेरीप्रीति लगा दो गुरुवर
मेरीप्रीति लगा दो गुरुवर …..
नचित्त अब चंचल हो,सुमिरनहर पल हो
ऐसीभक्ति दे दो गुरुवर…….
जिधरदेखूँ उधर आयें आप नजर
ऐसीदृष्टि दे दो गुरुवर ……
युगोंसे भटका हूँ,कहाँकहाँ अटका हूँ
अबमुक्ति दे दो गुरुवर …….
मेरीजीवन नैया,भँवरमें है डोली
अबपार लगा दो गुरुवर …..
सुखमें सोऊं नहीं दुःख में रोऊंनहीं
ऐसीसमता दे दो गुरुवर ……
गुरुवरही ईश्वर गुरु ही परमेश्वर
गुरुवरही हरिहर गुरु है सर्वेश्वर
मेरीप्रीत लगा दो….. कोई श्वास मेरी व्यर्थ ना जाये अब ऐसी युक्ति दे दो गुरुवर …… गुणों (भक्ति) का अर्जन हो अहम (विषय) विसर्जन हो ऐसी नीति दे दो गुरुवर ….. मेरा मैं अर्पण हो तुम्ही मेरा दर्पण हो मेरी ‘मैं’ को मिटा दो गुरुवर …. मेरा जीवन महके प्रेम की खुशबू से मेरा प्रेम बढ़ा दो गुरुवर…… मैं अपने कर्मों से तुम्हे प्रसन्न करूँ ऐसी रीत सिखा दो गुरुवर ….. आओ जो भी कहें वही शिरोधार्य हो ऐसी श्रद्धा दे दो गुरुवर…… अडिग मेरी श्रद्धा हो दृढ मेरी भक्ति हो शुभ भाव जगा दो गुरुवर….. ये क्षणभंगुर माया ये नश्वर है काया मेरे मोह को मिटा दो गुरुवर….. तेरा ही नाम धरूं तेरी ही सेवा करूँ ऐसी लगन लगा दो गुरुवर …… मैं मन और बुद्धि पर विजय अब पाता रहूँ ऐसी जीत दिला दो गुरुवर …… (हम) भोगों को तजें तेरा ही नाम भजें भ्रमजाल हटा दो गुरुवर ….. तुम्ही मेरी चाहत हो तुम्ही मेरी राहत हो अब दर्श दिखा दो गुरुवर…… मेरी प्रीत लगा दो गुरुवर …..