कोई नहीं दुनिया में, गुरु सम महा दानी
जो प्यार भी करते हैं, और पार भी करते हैं
आया जो शरण उनकी सतज्ञान का रस भरते
अज्ञानी की मूढ़ता को, वो पल में ही हैं हरते
करते ही दरस उनके दो नैन बरस पड़ते
भीतर से उठे आनंद, सतसुख के तरंग उठते
दृढ शरणागति गुरु की, भव पार हमें करती
श्रद्धा गुरुचरणों की, भव पार हमें करती
गुरु का सुमिरन करके सत् प्रीति का रंग निखरे
गुरुवाणी मनन करके, सतबुद्धि सतत उभरे
गुरुवाणी श्रवण करने, सब साधक खूब तरसे
मुख मीठी मधुर गंगा, सतशिष्य का शुभ करदे
कोई नहीं दुनियां में, गुरु सम महादानी
जो प्यार भी करते हैं, और पार भी करते हैं – – –
गुरु बिन तो किसी का भी
कल्याण नहीं होता
गुरु ज्ञान बिना मानव
जग में सदा है रोता -2
गुरु बिन ना कोई तरता
चाहे कितना भी हो ज्ञानी
कोई नहीं दुनियां – – –
गुरुवर की करुणा से,
खुशियाँ है सभी मिलती
गुरुदर्शन से मन की,
मुरझाई कली खिलती -2
गुरु दर पे जो ना आया,
वो तो है अज्ञानी
कोई नहीं दुनियां में – – –
गुरुवर की भक्ति ही, सबके हैं दुख हरती
गुरुद्वार की सेवा ही, सबका मंगल करती -2
तरना है गर तुझको, गुरु शरण तू ले प्राणी
कोई नहीं दुनियां में – – –
माया में क्यूँ अटका है, गुरुवर की शरण आजा जो न पाया कहीं तूने गुरुद्वारे पे तू पाजा -2 पावन हमें करती हैं गुरुवर की मधुर वाणी कोई नहीं दुनियाँ में – – –